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धौलपुर

नगर परिषद को नहीं सौंदर्यीकरण की परवाह, बेरुखी के भेंट चढ़े फव्वारे

– शहर की सुंदरता बढ़ाने की जगह गंदगी के डस्टबिन बनकर रह गए

धौलपुर. शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के नगर परिषद के बड़े-बड़े बोल हवा हवाई नजर आते हैं। क्योंकि आप चाहे शहर के किसी भी मार्ग पर चले जाएं वहां गड्ढे और कचरा से आपका दीदार हो ही जाएगा। तो वहीं कई वर्ष पहले शहर के सौंदर्यीकरण के लिए पुराना डाकघर चौराहा और गांधी पार्क में लाखों

धौलपुरMay 02, 2024 / 07:37 pm

Naresh

नगर परिषद को नहीं सौंदर्यीकरण की परवाह, बेरुखी के भेंट चढ़े फव्वारे Municipal council does not care about beautification, fountains fall victim to indifference
– शहर की सुंदरता बढ़ाने की जगह गंदगी के डस्टबिन बनकर रह गए

धौलपुर. शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के नगर परिषद के बड़े-बड़े बोल हवा हवाई नजर आते हैं। क्योंकि आप चाहे शहर के किसी भी मार्ग पर चले जाएं वहां गड्ढे और कचरा से आपका दीदार हो ही जाएगा। तो वहीं कई वर्ष पहले शहर के सौंदर्यीकरण के लिए पुराना डाकघर चौराहा और गांधी पार्क में लाखों रुपए खर्च कर बनवाए गए फव्वारे डस्टबिन बने हुए हैं। जो कि नगर परिषद की कार्यशैली को खुद बयां कर रहे हैं।
कभी शहर की सुंदरता को चार-चांद लगाने वाले फव्वारे आजकल महज गंदगी के ढेर और कूड़ेदान बनकर रहे गए हैं। इनकी हालत देखकर तो ये कतई नहीं लगता कि नगर परिषद या जिला प्रशासन शहर के सौंदर्यीकरण को लेकर तनिक भर भी गंभीर है। चाहे गांधी पार्क स्थित फव्वारा हो या पुराना डाकघर के पास लगा फव्वारा नगर परिषद की कार्यशैली के कारण वीरान पड़े हैं। चौराहे के सौंदर्यीकरण को लेकर फव्वारे के लिए जगह भी आवंटित की गई और लाखों रुपए खर्च कर शानदार रंग-बिरंगा फव्वारा लगाया गया। जो चौराहे के शान हुआ करता था। मगर अफसरी लापरवाही इसे भी लील गई। एक बार ये फव्वारे खराब हुए तो दोबारा इसे रिपेयर करवाने की किसी ने जहमत तक नहीं उठाई। जब ये चलने ही बंद हो गए तो इसे कूड़ेदान का ढेर बनते देर नहीं लगी।
पूर्व सभापति रितेश ने कराया जीर्णोद्धार

बताया जाता है कि पुराना डाकघर पर लगा फव्वारा उस समय में काफी कीमत में लगा था। लेकिन देखरेख के अभाव में फव्वारा क्षतिग्रस्त हो गया। जिसका 2013 में तत्कालीन सभापति रितेश शर्मा ने जीर्णोद्धार कराया। जिसके बाद से पुराना डाकघर चौराहा फव्वारा चौराहे नाम से जाने जाना लगा।
कीमती और खास था फव्वारा

इस बेहतरीन फव्वारे की सबसे खास बात ये थी कि यह कीमती होने के साथ-साथ इससे निकलने वाली पानी की एक भी बूंद फव्वारा की चारदीवारी से बाहर नहीं गिरती थी। लेकिन नगर परिषद के अफसर एव सभापति बदले तो इनके हालात भी बदले पिछले कुछ सालों से इस बेहतरीन फव्वारे को जैसे लापरवाही और अफसरी ढिलाई की नजर लग गई।
फव्वारा स्थल की हालत खस्ता

फव्वारे के साथ-साथ फव्वारा स्थल की भी हालत खराब है। चारो ओर की लगी रेलिंगें और दीवारें अब टूटने लगी हैं। जिसमें से पत्थर बाहर निकल रहे हैं। फव्वारा स्थल पर लगे हैण्डपंप से निकला पानी नाली के रूप में बहता रहता है। लोगों के लिए बैठने के लिए लगाई कुर्सियां भी किसी काम की नहीं। वहीं फव्वारा स्थल का मुख्य गेट भी टूट चुका है। जिसका कोई अता-पता नहीं।

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