धौलपुर. ऑफीसर कॉलोनी में पीडब्ल्यूडी की भूमि पर कथित अतिक्रमण को हटवाने में नियम-कायदों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। इस भूमि पर बसे परिवार का आरोप है कि वहां से हटाने को लेकर उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया। प्रशासन ने सीधे बुलडोजर चला दिया।
वहीं, मामले में एक और बड़ी गफलत सामने आई है। जिस खसरा नंबर से अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए गए वह गैर मुमकिन सडक़ का निकला है। जबकि जिस भूमि पर अतिक्रमण बताया जा रहा था उसका खसरा नंबर अलग है। धौलपुर तहसीलदार की ओर से उपखंड अधिकारी को सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। तहसीलदार की रिपोर्ट में साफ लिखा है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग ने खसरा नंबर 264 से अतिक्रमण हटवाने के लिए लिखा जबकि, खसरा नंबर 264 गैर मुमकिन सडक़ का है।
यह लिखा तहसीलदार ने तहसीलदार ने रिपोर्ट में लिखा है कि मौके से 28 नवंबर को मौका मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार धौलपुर, सहायक अभियंता पीडब्ल्यूडी धौलपुर, नगर परिषद धौलपुर एवं पुलिस बल की मौजूदगी में सुधा पत्नी मोतीसिंह का पक्का निर्माण एक कमरा व लैट-बाथ गिराया गया है। पीडब्ल्यूडी की ओर से काबिज अतिक्रमियों की विवरण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है।
अतिक्रमियों को बेदखल करने के संबंध में कोई नोटिस देने के संबंध में भी जानकारी नहीं दी गई है। रिपोर्ट में लिखा है कि खसरा नंबर 264 और 267 का स्पष्ट सीमाज्ञान पीडब्ल्यूडी और प्रशासन की ओर से नहीं कराया गया। जिससे स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि श्रीमती सुधा का कब्जा खसरा नंबर 264 में है अथवा 267 में है।
मामले में पेच ही पेच इस भूमि पर तकरीबन 50 साल से यह परिवार रह रहा था। प्रशासन के मुताबिक वर्ष 2014 में अदालत ने इसे अतिक्रमण माना है। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि 2014 से अब तक परिवार किसी की शह पर भूमि पर काबिज था और अब ऐसा क्या हुआ कि पीडब्ल्यूडी ने रविवार को अतिक्रमण हटाने के लिए अर्जी दी और कार्यवाहक जिला कलक्टर ने सोमवार सुबह तो अतिक्रमण हटवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। जबकि इस संबंध में काबिज परिवार को कोई नोटिस तक नहीं दिया गया।
एक रसूखदार अधिकारी की भूमिका संदिग्ध! मामले में एक रसूखदार अधिकारी की भूमिका पर लगातार प्रश्नचिह्न लग रहे हैं। अतिक्रमण हटवाने में इस अधिकारी ने जमकर रुचि दिखाई है। यहां तक कि कार्रवाई के लिए विभिन्न विभागों को बुलाने के लिए फोन भी किए हैं। बताया जा रहा है कि इसी अधिकारी के प्रभाव में यह पूरी कार्रवाई हुई है।
इनका कहना है मामले में प्रोसेस फॉलो किया जाना चाहिए था। जल्दबाजी ठीक नहीं है। फिलहाल पीडि़त परिवार के पुनर्वास के लिए नगर परिषद एवं डीएलबी को लिखा गया है। मैं छुट्टी पर था। पीछे से यह कार्रवाई हुई है। मामले में अगर किसी भी अधिकारी द्वारा पद का दुरुपयोग अथवा दुर्भावनापूवर्क कार्रवाई की बात सामने आती है तो जांच करा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– अनिल कुमार अग्रवाल, जिला कलक्टर, धौलपुर पीडब्ल्यूडी की ओर से पत्र मिला था। खसरा नंबर के बारे में वे ही बता सकते हैं। हमने तो लॉ एंड ऑर्डर के लिहाज से मौका मजिस्ट्रेट व पुलिस बल उपलब्ध कराए। निश्चित रूप से अतिक्रमण तो हटाया ही जाना चाहिए।- चेतन चौहान, सीईओ, जिला परिषद तथा तत्कालीन कार्यवाहक जिला कलक्टर