इन मंडियों में भी चने की आवक का दबाव नहीं बन पा रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार चने की उत्पादकता प्रति हैक्टेयर कम बैठ रही है। सबसे बाद में राजस्थान की कोटा लाइन में माल आता है। इसके बाद नोहर, भादरा, सवाईमाधोपुर, सार्दलपुर, सरदारशहर, तारानगर आदि मंडियों में चने की आवक होती है। मध्य प्रदेश की मंडियों में चने की आवक पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी कम हो रही है। राजस्थान की मंडियों में चने की आवक में धीरे-धीरे इजाफा हो रहा है। संभावना है कि 25 अप्रैल तक चने की आवक का दबाव बढ़ जाएगा। हालांकि मटर के भाव नीचे होने से चने की खपत में थोड़ी कमी आ सकती है।