नई व्यवस्था के तहत सभी थानों को अपने-अपने थाना क्षेत्र में रहने वाले बुजुर्गों को चिहिन्त करने के लिए कहा गया है। उन्हें करीबी थाना, थानाधिकारी और बीट कांस्टेबल का मोबाइल नंबर दिया जाएगा। जिससे किसी भी तरह की परेशानी होने पर पुलिस की मदद ले सकें।
आईजी ने बताया कि इस व्यवस्था का मकसद यह है कि बुजुर्ग को अकेले देखकर कोई व्यक्ति उनके साथ आपराधिक या अप्रिय घटना करने का प्रयास नहीं करें। इस बारे में चारों जिलों के पुलिस अधीक्षकों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए है।
सिपाही जाएगा बुजुर्ग के पास नई व्यवस्था के तहत बीट कांस्टेबल अपने क्षेत्र में रहने वाले सभी बुजुर्गो से संपर्क करेगा। वह बुजुर्गो की संख्या व उनकी समस्या की रिपोर्ट तैयार करेगा। संभव होने पर थाना स्तर से इनकी समस्या का समाधान भी करवाएगा। बीट कांस्टेबल समय-समय पर बुजुर्ग से उनके घर मिलने जाएगा और हाल-चाल पूछेगा। बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा का भरोसा दिलाएगा। वहीं पुलिस थाने में पदस्थापित कांस्टेबल, थानाधिकारी, वृताधिकारी, एएसपी, पुलिस अधीक्षक एवं आईजी स्वयं सप्ताह में एक दिन बुजुर्ग से व्यक्तिगत मुलाकात करने उनके निवास पर जाएंगे।
बीट कांस्टेबल के पास रहेगा डाटा
थाने के बीट कांस्टेबलों के पास थाना क्षेत्र के हर बुजुर्ग का नाम, पता, उम्र, लिंग, मोबाइल नंबर संग्रहित होगा। पुलिस इलाके में सार्वजनिक स्थानों या बेसहारा बुजुर्गों की मदद को हर समय तैयार रहेगी।
यह होगा फायदा हर थाने में बीट सिपाही के पास प्रत्येक बुजुर्ग का डाटा है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर कोई भी बुजुर्ग मोबाइल से आईजी कार्यालय के नम्बर 8764507304 पर कॉल कर मदद मांग सकेगा। बुजुर्ग पुलिस कंट्रोल रूम में भी फोन कर मदद ले सकेंगे। पुलिस पूरी जानकारी नजदीक पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) को भेजेगी। पीआरवी तत्काल मदद के लिए पहुंचेगी।
क्या कहता है कानून
– कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष अथवा उससे ज्यादा है और अपनी आय या अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वो व्यस्क बच्चों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं। अभिभावक में सगे और दत्तक माता-पिता और सौतेले माता और पिता भी शामिल हैं ।
– कानून में ये भी प्रावधान है कि अगर रखरखाव का दावा करने वाले दादा-दादी या माता.पिता हैं और उनके बच्चे या पोता-पोती अभी नाबालिग हैं, तो वह अपने उत्तराधिकारी रिश्तेदार पर भी दावा कर सकते हैं।
– वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति उत्तराधिकारी या संतान को दे चुका है और उसका कोई भरण पोषण नहीं कर रहा है तो वह अपनी दी सम्पत्ति वापस लेने का अधिकारी है।
– वरिष्ठ नागरिक अपने क्षेत्र के एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दे सकते हैं। एसडीएम की ओर से अधिकतम दस हजार रुपए प्रतिमाह का भरण पोषण खर्च वरिष्ठ नागरिक, माता पिता को दिलाया जा सकता है।
सामाजिक दायित्व के तहत यह अभियान पुलिस कानून व सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सरोकार के काम भी करती है। इसी कड़ी में एक पुलिसकर्मी-एक वृद्धजन अभियान शुरू किया है। बुजुर्गों की मदद के लिए एक विशेष नंबर जारी किया है। शुक्रवार को प्रत्येक अधिकारी को एक-एक बुजुर्ग से व्यक्तिगत मिलाकर समस्या का समाधान भी कराएंगे।
ओमप्रकाश, पुलिस महानिरीक्षक बीकानेर रेंज