पुलिस के अनुसार ब्रिज निर्माण में मापदंड के अनुसार सामग्री का उपयोग हुआ या नहीं इसके लिए सरिए, सीमेंट कंक्रीट और अन्य निर्माण सामग्री के सेम्पल लिए गए। इनको एफएसएल जांच के लिए भेजा जाएगा। प्रथम दृष्टया मौका िस्थति के अनुसार पुल के निर्माण में गुणवत्ता का अभाव दिखाई दे रहा है।
पुलिस पहुंचने से पहले ऐसे डाला लापरवाही पर पर्दा-
न्यास के अधिशासी अभियन्ता जगदीश पलसानिया की ओर से दी गई रिपोर्ट के आधार पर सुभाष नगर पुलिस थाने में अज्ञात के खिलाफ धारा 427 व 3 पीडीपीपी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। इसमें दस साल की सजा का प्रावधान है। मामला दर्ज कराने के बाद थानाप्रभारी नंदलाल रिणवा एफएसएल टीम के साथ मौके पर पहुंचे। वहां उनको गड़बड़ी मिली। पुलिस ने न्यास अधिकारियों को मौके से मलबा हटाने के लिए मना किया था। इसके बावजूद जगह से छेड़छाड़ कर मलबा हटा दिया गया। सुराख के आसपास के हिस्सा करीब बीस फीट और चौड़ा मिला। मिट्टी व गिट्टी को भी साफ किया हुआ था। एफएसएल टीम ने सेम्पल के लिए सड़क पर डेढ किलो वजनी हथौड़ा मारा तो सडक दरक गई और मिट्टी व रेत बिखर गई। इसमें गिट्टी तक नहीं निकली। मलबा हटाने के लिए मजदूर किसने भेजे यह भी गोलमाल बना हुआ है। न्यास के अधिकारियों ने श्रमिक भेजने से इंकार किया जबकि श्रमिकों का कहना है था कि न्यास ने भेजा। पुलिस ने न्यास से इस मामले की सम्पूर्ण पत्रावलियां तलब की है।
पांच करोड़ के भुगतान के बाद ही सुराख-
न्यास की ओर से ब्रिज निर्माण एजेन्सी एचएस मेहता को दो दिन पहले ही भुगतान किया गया था। ठेकेदार का बिल पांच करोड़ से अधिक का था। लेकिन कटौती के बाद उसे 4.38 करोड़ का भुगतान हुआ। उसके एक दिन बाद ही ओवरब्रिज में गड़बडी सामने आ गई।
जांच टीम पर इसलिए सवाल-
जिला कलक्टर के निर्देश पर चार सदस्यों की जांच टीम बनाई है। इसमें अधिशासी अभियन्ता रविश श्रीवास्तव, सहायक अभियन्ता रामप्रसाद जाट, कनिष्ठ अभियन्ता किशोर इसरानी तथा सहायक लेखाधिकारी अनिल शर्मा को शामिल किया है। जांच टीम में एनएचआई, जिला पूल निर्माण या सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों को शामिल किया जाना चाहिए था। जबकि इनमें से एक भी एजेंसी को शामिल नहीं किया गया।