भवन निर्माण से जुड़े में दिहाड़ी मजदूरों एवं ग्रामीणों के सामने रोजगार की समस्या पैदा हो गई है। काम नहीं मिलने से अधिकांश मजदूरों और ग्रामीणों को अपने गांव निराश लौटना पड़ रहा है। शास्त्रीनगर के बड़ला चौराहा, आरसी व्यास, पांसल चौराहा, सांगानेर गेट के मुख्य चौराहा पर सुबह के समय पुरुषों के साथ महिलाएं भी रोजगार की तलाश में आती है। छोटे निर्माण के लिए मजदूर लेने वालों का आता देख सभी उनकी और दौड़ पड़ते हैं। इस आस में कि आज तो मजदूरी मिलेगी लेकिन अधिकतर समय निराशा ही मिलती है। शनिवार को सुबह मुख्य चौराहा पर यही नजारा रहा।
मजदूर परिवार होने लगे चिंतित
डेढ माह से भवन निर्माण कार्य ठप हैं। मजदूर परिवारों को दिन की दिहाड़ी नहीं मिल रही है। रोजगार नहीं मिलने से मजदूर परिवारों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। मजदूरों का कहना है कि जल्द सरकार ठोस एवं उचित कदम उठाए ताकि उन्हें भी रोजगार से वंचित ना रहना पड़े।
महिला मजदूरों की संख्या बढ़ी
मजदूरों ने बताया कि भवन निर्माण के काम काज ठप हैं। अधिकांश मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। उन्हें निराश घर लौटना पड़ रहा है। परिवार के भरण पोषण के लिए अब परिवार की महिलाएं भी मजदूरी के लिए आने लगी है। यही वजह है कि मुख्य चौराहे पर महिला मजदूरों की भीड़ नजर आने लगी हैं।
एक माह से नहीं मिला रोजगार
करीब एक माह हो गया। बनेड़ा से रोजाना मोटरसाइकिल पर दो मजदूर साथ आते हैं। बनेड़ा से भीलवाड़ा आने जाने में हर दिन 100 रुपए का पेट्रोल जल जाता है। बजरी की कमी होने से निर्माण कार्य कम चल रहे हैं। मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है।
गोपाल रेबारी, मजदूर