scriptग्राउंड रिपोर्ट: सोलापुर लोकसभा सीट पर गरमाई सियासत, कांग्रेस सुशील कुमार शिंदे तो भाजपा मोदी लहर के भरोसे | Lok Sabha Elections 2024 Solapur Maharashtra Congress Sushil Kumar Shinde vs BJP pm Modi | Patrika News
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ग्राउंड रिपोर्ट: सोलापुर लोकसभा सीट पर गरमाई सियासत, कांग्रेस सुशील कुमार शिंदे तो भाजपा मोदी लहर के भरोसे

Lok Sabha Elections 2024: महाराष्ट्र की सोलापुर संसदीय क्षेत्र लंबे समय से पेयजल संकट से जूझ रहा है। कई बार यहां पानी आपूर्ति के लिए वाटर ट्रेन चलानी पड़ी। जब भी चुनाव होते हैं तो नेता यहां आते हैं इस समस्या के निदान का भरोसा देते हें, लेकिन अभी तक समस्या जस की तस है। इस बार फिर यहां कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी सामने-सामने हैं। भाजपा ने इस बार प्रत्याशी बदल दिया है। वहीं कांग्रेस ने भी पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की जगह उनकी बेटी को मैदान में उतारा है। जल संकट और रोजगार यहां के बड़े मुद्दे हैं। पढ़िए पत्रिका से रतन दवे की ग्राउंड रिपोर्ट

नई दिल्लीMay 02, 2024 / 11:14 am

Akash Sharma

Praniti Shinde vs Ram Vitthal Satpute maharastra
Lok Sabha Elections 2024: देश के किसी भी कोने में जाना हो सोलापुर से ट्रेन मिल जाएगी। हाईवे का जाल बिछा हुआ है और मुम्बई एक्सप्रेस हाईवे ने तो रास्ता सरल कर दिया है। इंजीनियरिंग कॉलेजों की बहुतायत ने यहां की पढ़ाई की ललक को बढ़ा दिया है। हर साल करीब एक लाख विद्यार्थियों को पढ़ने और आगे बढ़ने की सपने उन्हें बैंगलूरु, पुणे और हैदराबाद तक पढ़ने और रोजगार के लिए ले जा रहे है। मां-बाप के मन में कसक इस बात की है कि आइआइटी पार्क और रोजगार का प्रबंध भी यहीं हो तो संतान उनके साथ बुढ़ापे में रह सकेंगे।
महाराष्ट्र में एक बात अचरज की है कि बुलंद इमारतें, अच्छे बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन, विमान सुविधाओं के बावजूद भी जलसंकट से निजात नहीं मिल रही है। सोलापुर का कोना-कोना भी पानी मांग रहा है। इसी सोलापुर ने सुशील कुमार शिंदे के रूप में कांग्रेस काे बड़ा नेता दिया जो महाराष्ट्र के मुख्यंमत्री और केन्द्र में मंत्री रहे। शिंदे को पानी की इसी पीड़ा ने पीछे धकेल दिया और फिर 2014 और 2019 की मोदी लहर में शिंदे लगातार दो बार हार गए। इस बार कांग्रेस से शिंदे की बेटी प्रणिता शिंदे प्रत्याशी हैं, जो अभी सोलापुर मध्य की विधायक भी हैं। भाजपा ने भी मालशिराज सीट के विधायक राम सातपुते को उम्मीदवार बनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्चिम महाराष्ट्र में 7 मई को होने वाले मतदान से पहले ताबड़तोड़ सभाओं से माहौल में रंगत भर दी है।

सोलापुर जिला विवाद

कर्नाटक के बॉर्डर पर है सोलापुर। सोलापुर जिले की सीमा को लेकर विवाद है। महाराष्ट्र चाहता है कि सोलापुर जिला उसका रहे और कर्नाटक अपना बनाने के लिए न्यायालय तक पहुंच गया है। सीमा विवाद सुलझाने को लेकर गठित महाजन सोलापुर आयोग ने सोलापुर को कर्नाटक में शामिल करने का सुझाव दिया था, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस सुझाव नहीं माना। यह मामला अब उच्चतम न्यायालय में है। सोलापुर कर्नाटक में रहेगा या महाराष्ट्र में यह तो न्यायालय के फैसले बाद पता चलेगा। लेकिन फिलहाल 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस इसे अपनी तरफ करने के तमाम प्रयासों में जुटी है।

विरासत बचाने के लिए जोर लगा रहे शिंदे

इमरजेंसी के समय में भी कांग्रेस ने सोलापुर सीट फतेह की थी। कांग्रेस का गढ़ रही इस सीट से सुशील कुमार शिंदे तीन बार यहां से सांसद रहे, लेकिन 2014 की मोदी लहर उनकी जमी-जमाई जाजम को उड़ा ले गई। खुद शिंदे 2014 और 2019 में दो बार लगातार हार गए। तीसरी बार शिंदे ने खुद लड़ने की हिम्मत नहीं जुटाई और सोलापुर मध्य की विधायक उनकी बेटी प्रणीती को 2024 की लोकसभा के मैदान में उतारा है। प्रणीती के लिए यह मुकाबला आसान नहीं है, लेकिन आसानी यह हुई है कि वंचित बहुजन पार्टी अघाड़ी के प्रत्याशी ने नामांकन वापिस ले लिया। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम ने भी समर्थन दे दिया। माकपा नेता नरसैय्या अडाम भी समर्थन में आए हैं। इस शहर में बहुतायत में लिंगायत समाज के लोग भी रहते हैं, जो कन्नड़ और तेलगु भाषी है। भाजपा के साथ रहा यह समाज इस बार शुगर मिल की चिमनी गिरने से उपजे विवाद को लेकर भाजपा से नाराज है। ऐसे में शिंदे अब दो बार की हार बाद बेटी को मैदान में उतारकर अपनी विरासत बचाने के लिए पूर जोर लगा रहे है।

मोदी की प्रत्याशी बदलने की ट्रिक.. हैट्रिक की किलेबंदी

2014 में प्रधानमंत्री मोदी की लहर ने कांग्रेस के इस गढ़ को ढहा दिया, लेकिन 2019 आते-आते भाजपा प्रत्याशी के कामकाज में कसर के प्रश्न उठते तो यहां से भाजपा ने 2019 में डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामी को चुनाव लड़ाया और वे जीत गए। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले ग्राउण्ड रिपोर्ट भांपते हुए भाजपा ने यहां से प्रत्याशी को फिर बदल दिया और मालशिराज सीट के विधायक राम सातपुते को उम्मीदवार बनाया। प्रत्याशी बदलने के फार्मूले ने नाराजगी को दूर किया है। सोलापुर लोकसभा क्षेत्र में सोलापुर सिटी नार्थ, सोलापुर सिटी सेंट्रल, अक्कलकोट, सोलापुर दक्षिण, पंढरपुर और मोहोल विधानसभा की सीट है। अभी केवल सोलापुर सेंट्रल में कांग्रेस की प्रणीति शिंदे विधायक हैं। ऐसे में भाजपा का यहां अब किला मजबूत कर लिया गया है, जिसको भेदना बड़ी चुनौती है।

प्रकाश अम्बेडकर क्या करेंगे?

डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाती प्रकाश अंबेडकर की यहां पकड़ है। दलित लॉबी उनसे जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि संसदीय सीट में दलित लॉबी जिसके साथ रहती है, जीत उधर ही होती है। शिंदे यहां दलित और मुस्लिम के गठजोड़ से ही जीते हैं और पिछली दो बार की सेंध ने उन्हें पीछे कर दिया है। वंचित बहुजन पार्टी अघाड़ी के प्रत्याशी के नामांकन वापिस लेने से प्रकाश नाराज है।

राहुल-मोदी दोनों की सभा हुई

25 अप्रेल को यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सभा में कहा कि भाजपा दलितों के विरोध में है। संविधान को बदलने की कोशिश की जा रही है। लोकतंत्र खत्म करेंगे। जवाब में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 अप्रेल की सभा में कहा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि खुद बाबा साहब अंबेडकर आए तो भी संविधान नहीं बदलेगा, यह मोदी की गारंटी है। मोदी ने सोलापुर को वादा किया कि विकास करवाएंगे।

मुद्दा-पानी,पढ़ाई और नौकरी

सोलापुर बस स्टैण्ड के सामने खड़े टैक्सी चालक अनवर शेख से पूछा कि समस्या क्या है तो तपाक से बोला संतान की पढ़ाई। सवाल किया कि स्कूल-कॉलेज नहीं है क्या? जवाब था आइआइटी से लेकर उच्च स्तर तक की पढ़ाई के लिए एक लाख से ज्यादा बच्चे पुणे, बैंगलूरु और हैदराबाद जाते हैं। यह सुविधा हमारे यहां पर क्यों नहीं है? पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिलती है। परेश गायड़े कहते है कि यहां रोजगार का साधन नहीं है। यहां 25 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, नौकरी के लिए अन्यत्र जाते है। मां-बाप यहां अकेले हैं, बेटे बाहर रहते हैं। यहां रोजगार का प्रबंध होना चाहिए।

जल संकट बड़ा मुद्दा

खूबसूरत और बड़े शहर सोलापुर से लेकर मोहोली, पंढरपुर और पूरे इलाके में जलसंकट है। यहां पानी का वादा पूरा नहीं होने की कसक हर किसी को है। मोहोल में विजय माड़ी कहते है कि पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं है। एक एनिकट बना है, उसकी दीवारों को ऊंचा किया जाए तो बारिश के छह माह बाद तक भी प्रबंध हो सकता है, लेकिन हमारी बात सुने कौन?

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