scriptLok Sabha Elections 2024: बंगाल में नरेंद्र मोदी बनाम ममता बनर्जी, प्रत्याशी केवल नाम के | Narendra Modi vs Mamata Banerjee in Bengal in lok sabha elections 2024 Asansol constituency Shatrughan Sinha S S Ahluwalia | Patrika News
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Lok Sabha Elections 2024: बंगाल में नरेंद्र मोदी बनाम ममता बनर्जी, प्रत्याशी केवल नाम के

बंगाल में असली लड़ाई तो पीएम नरेन्द्र मोदी व बंगाल सीएम ममता बनर्जी के बीच वर्चस्व की है। आसनसोल लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस ने फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया है तो भाजपा ने बर्धमान-दुर्गापुर के सांसद एस.एस. आहलुवालिया को इस बार पड़ोस की सीट आसनसोल से उतारा है। सीपीआई (एम) की तरफ से जहानारा खान मैदान में है। पढ़िए आसनसोल से कानाराम मुण्डियार की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीApr 30, 2024 / 07:13 am

Paritosh Shahi

आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में दलों के प्रत्याशी तो केवल नाम के हैं। चुनाव की असली लड़ाई तो पीएम नरेन्द्र मोदी व बंगाल सीएम ममता बनर्जी के बीच वर्चस्व की है। तृणमूल कांग्रेस ने फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा को टिकट दिया है तो भाजपा ने बर्धमान-दुर्गापुर के सांसद एस.एस. आहलुवालिया को इस बार पड़ोसस की सीट आसनसोल से उतारा है। सीपीआई (एम) की तरफ से जहानारा खान मैदान में है। आसनसोल के लोग भाजपा व टीएमसी के बीच ही कांटे की टक्कर बता रहे हैं। लेकिन मुस्लिम वोटबैंक पर पकड़ के कारण सीपीआईएम के प्रत्याशी त्रिकोणीय हालात बनाते दिख रहे हैं।
देश में 18वीं लोकसभा चुनाव की सियासत में तल्खी के साथ इन दिनों पश्चिम बंगाल हीटवैब की चपेट में है। आखिर बंगाल के दंगल में ऐसा क्या चल रहा है, इसकी थाह लेने के लिए मैं जयपुर से बंगाल के लिए चल पड़ा। जोधपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से यात्रा कर बंगाल की आसनसोल सीट पहुंचने से पहले ही मुझे महसूस होने लगा कि बंगाल की ओबाहवा कुछ ठीक नहीं है। आसनपोल जंक्शन से उतर कर शहर की ओर कदम बढ़ाए तो मन के कई सवालों का जवाब खुद ब खुद मिलने लगे। मौसम की गर्मी के साथ लोगों के मन में उठ रही सियासत की गर्मी भी कम नहीं है। सार के रूप में एक बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई कि यहां की सोल यानि मिट्टी पर वोटों की फसल तो पक रही है, लेकिन यहां की उपजाऊ सोल की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण होती जा रही है। कभी कोल अंचल की इस धरा का नाम कोल इण्डस्ट्री में शुमार रहा। देश-दुनिया तक कोल आपूर्ति का गढ़ अब गर्त जैसे हालात में हैं।
राजधानी कोलकाता के बाद आसनसोल बंगाल राज्य का दूसरा बड़ा शहर है और विश्व में तेजी से विकसित हो रहे 100 शहरों की सूची में भारत के 11 शहरों में शामिल है। यहां रेल परिवहन की सुविधा बढ़ाने के प्रयास तो दिख रहे हैं, लेकिन जैसे ही रेल से इतर शहर की ओर रूख करते हैं तो जहां हाथ रखा, वहां दर्द के सिवा कुछ नहीं मिला। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी कोई मुद्दे पर कोई भी बात नहीं कर रहा। भाजपा व तृणमूल की तरफ से चुनाव को जीतने के लिए स्टार प्रचारक रोड शो से लेकर चुनावी सभा कर रहे हैं। लेकिन मतदाता पत्ते नहीं खोल रहे हैं।
पठान शासक शेरशाह सूरी के समय बनी उत्तर भारत की सबसे बड़ी ग्रांट ट्रंक (जीटी) रोड इस शहर के बीच से गुजर रही है, लेकिन रोड के हालात पिछड़े शहरों से भी गए-गुजरे दिखाई दिए। सडक़ों पर दौड़ रही सार्वजनिक सिटी परिहवन की खटारा बसों में यात्री ठूंस-ठूंस कर भरे हुए। पश्चिम राज्यों की तुलना में यहां सूर्योदय लगभग एक घंटा पहले हो रहा है। पिछले कुछ दिन से न केवल आसनसोल बल्कि बंगाल के कई क्षेत्र हीटबैव की चपेट में हैं। भयंकर गर्मी व तपन के बीच खटारा बसों में यात्रा करना लोगों की मजबूरी है। बसों का गेट खुला ही रहता है। राजधानी समेत अन्य बड़े शहरों तक अच्छी वोल्वो बस सेवा पर निजी कम्पनियों का कब्जा है।
नगर निगम कार्यालय के आस-पास करोड़ों की लॉटरी के टिकट की दुकानें हर किसी को चौंकाती जरूर है। श्रमिक वर्ग से आबाद क्षेत्र में लॉटरी के जरिए खुलेआम लुभावने सपनों को पूरा करने के टिकट बेचे जा रहे हैं। ऐसे टिकट व कूपन पर एक करोड़ व दो करोड़ की राशि लिखी है। लॉटरी से कौन-कितना निहाल हुआ, यह तो कूपन खरीदने वालों से ज्यादा कोई नहीं जा सकता। सडक़ पर बड़े मॉल के सामने फुटपाथ पर सामने मुंह खोलकर थड़ी बाजार सजे हैं। इससे मॉल तक ग्राहकों की पहुंच बेहद मुश्किल हो रही है। मॉल मालिक व बड़ी दुकान वालों के लिए यह बड़ी परेशानी है। लेकिन सरकार के खिलाफ कुछ बोल नहीं सकते। यहां के लोगों के मन में सरकार व शासन नाम से अजीब सा भय व्याप्त है। लोग कैमरे के बिना व बिना पहचान बताए मुखरता से बहुत कुछ बता रहे हैं।
जीटी रोड पर रिक्शा चालक राहुल से आसनसोल के हाल पर पूछा तो बोले, क्या बताएं, आप तो इस रोड को ही देखकर अंदाजा लगा दीजिए कि शहर के बाकि सडक़ें कैसी होगी। चुनाव मौके पर भी सडक़ नहीं सुधरने के सवाल पर बोले, यहां के लोगों को चुनाव में विकास से कोई मतलब नहीं। लोगों को फ्री में आर्थिक सहायता व अन्य सुविधाएं लेने की आदत सी हो गई हैं। अब चुनाव में भी खूब मिल रहा है, तो कोई क्यों चिन्ता करेगा। लोगों की मेहनत करने की आदत भी छूट रही है। कभी कोल इंडस्ट्री में लाखों लोग रोजगार से जुड़े थे। कोल उद्योग चौपट होने लगा तो अब श्रमिकों की संख्या हजारों में सिमट गई है। कोई नया उद्योग नहीं लग रहा, इससे बेरोजगारी व गरीबी बढ़ती जा रही है। इस बार के चुनाव में किसकी हवा है के सवाल पर टैक्सी चालक राहुल बोले, लहर तो मोदी की है, लेकिन ममता दीदी की पकड़ भी कम नहीं है। हर चुनाव में निर्णायक की भूमिका निभाने वाले श्रमिक क्लबों को उपकृत कर उनके जरिए वोट बैंक को साधने के प्रयास दोनों तरफ से हो रहे हैं। चुनाव में पैसे बांटने के आरोप भाजपा व टीएमसी दोनों दलों पर लग रहे हैं।
आसनसोल से रानीगंज के लिए बस में सवार एक बुजुर्ग ने अपना नाम तो नहीं बताया, लेकिन उनसे सवाल किए तो बोले, मोदीजी ने जो 400 पार का नारा दिया है, यदि यह नारा सफल हो गया तो बंगाल में भी ऐसा खेला होगा, जो पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि कई लोग राज्य व केन्द्र के चुनाव में अलग-अलग मत रखते हैं। केन्द्र में तो मोदी जैसा सशक्त नेतृत्व ही पसंद है। देश में पूर्ववर्ती सरकार के समय जो काम सालों से अटके थे, वो मोदी सरकार में पूरे हो गए। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण व जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना कोई आसान काम नहीं था, जो देश ने पूरा होते देख लिया।
सर्किट हाउस के पास कैब चालक एस. बनर्जी ने स्कार्फ से अपना चेहरा छिपाए रखा, लेकिन जब सवाल किए तो बहुत सी गहरी बातें बताई। बोले यहां पर रूलिंग पार्टी के लिए कुछ नेगेटिव बोलने पर लॉकअप में डालने का डर है। दीदी के कार्यकर्ताओं के इशारे पर पुलिस कार्य कर रही है। इसलिए आपको कोई भी खुलकर नहीं बताएगा। जनता की मबजूरी है कि राज्य के चुनाव में बार-बार टीएमसी को जिताना पड़ रहा है। लोकसभा लोग मन से भाजपा को चाहते हैं। पिछला चुनाव भाजपा को जिताया था, लेकिन टीएमसी ने खेला कर दिया। सांसद बाबुल सुप्रियो को टीएमसी में जाना पड़ गया। भाजपा टीएमसी के खेला का मुकाबला नहीं कर पा रही है।
गौराई रोड पर अनिमेष मित्रा से मुलाकात हुई। ऑनलाइन फूड का ऑर्डर पहुंचाने का काम करने वाले मित्रा ने कहा कि देखिए 50 साल की उम्र में भी पेट पालने के लिए बोझा पीठपर लादकर काम करना पड़ रहा है। केवल सपने दिखाए जाते हैं, गरीबों के लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है। जनता ने 15 साल पहले जिस तरह वाम मोर्चे का सफाया कर टीएमसी को चुना था, तब से बहुत उम्मीदें थी कि कुछ अच्छा होगा। ममता दीदी ने पहले फेज में तो अच्छे काम किए, लेकिन बाद में उनके एजेंडे में भी विकास गौण हो गया। चुनाव को कैसे जीतना है, यह दीदी व उनके लोग खेला करने में माहिर हो गए हैं।
रेस्टारेंट संचालक अमित क्याल से पूछा तो कहा, चुनाव के बारे में क्या बोले। हम व्यापारी वर्ग किसी के लिए अपना पक्ष नहीं रख सकते हैं। हमें सभी से रखनी पड़ती है। यहां का माहौल अच्छा नहीं हैं, किसी से नाराजगी नहीं ले सकते। बस्टीन बाजार में फय्याज खान, ऊषा ग्राम के मुंशी बाजार में बॉपी रॉय व जमील खान ने कहा कि ममता दीदी का जनता से जुड़ाव अच्छा है, लेकिन उनके निचले स्तर के नेताओं ने न केवल आसनसोल बल्कि पूरे बंगाल में टीएमसी की छवि को कमजोर किया है।

प्रचार में टीएमसी आगे

क्षेत्र की सडक़ों पर टीएमसी के ज्यादा होर्डिंग व पोस्टर लगे हैं। टीएमसी के पोस्टर पर ममता बनर्जी के अलावा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिह्ना व ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी की फोटो भी है। कुछ जगहों पर भाजपा के पोस्टर पर पीएम मोदी के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व भाजपा प्रत्याशी एस.एस. आहलुवालिया के फोटो है। 13 मई को यहां चुनाव होने हैं। प्रचार धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। टीएमसी से सीएम ममता बनर्जी, भाजपा से मिथुन चक्रवती समेत कई स्टार प्रचारक यहां रोड शो व चुनावी सभा कर चुके हैं।

भाजपा प्रत्याशी: एस.एस. आहलुवालिया

मजबूत पक्ष
-मोदी की लहर में फायदा मिलने की उम्मीद।
-पिछले तीन चुनाव क्षेत्र बदलकर लड़े और जीते।
-टीएमसी के प्रति आमजन में पनप रहे आक्रोश से फायदा मिलने की उम्मीद।

कमजोर पक्ष
-पिछले कार्यकाल में बर्धमान-दुर्गापुर सीट पर विशेष ध्यान नहीं दिया।
-आसनसोल क्षेत्र में स्वयं की पकड़ नहीं।
-टीएमसी के मुकाबले रणनीति का अभाव।

टीएमसी प्रत्याशी: शत्रुघ्न सिन्हा

मजबूत पक्ष
-मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मजबूत पकड़ से फायदा।
-फिल्म स्टार के कारण लोगों में क्रेज है।
-पिछला उपचुनाव टीएमसी से जीतकर जनता से जुड़े।

कमजोर पक्ष-
-स्वास्थ्य कारणों से जनता से सीधा जुड़ाव कम। क्षेत्र में नहीं रहने से सांसद लापता के पोस्टर भी लग चुके हैं।
-बाहरी प्रत्याशी होने से नुकसान की आशंका।
-मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति से हिन्दी भाषी वोटबैंक पर प्रभाव कमजोर।

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